Tuesday, October 7, 2025
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गाँव का बाशिंदा

माना कि साल अभी नया नया सा है चहूँ ओर कोहरे का छाया धुँआ सा है मेरा दर मेरी खिड़की बंद है बेज़ा नहीं बाहर सर्द समन्दर...

आजादी क्या मिली वो स्वच्छंद हो गये

आजादी क्या मिली वो स्वच्छंद हो गये कतारों में लगे लोग लामबंद हो गये हांकने वाले भी थे हुजूम में शामिल आजाद तराने गलों  में बंद हो गए जलसा जुलूस में तब्दील हो...
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