कंचन सुबह से ही अपने महानगर वाले घर में तैयारियों में जुटी थी। बैठक कक्ष में उसने आसन, दरी और फूल सजा दिए थे। रंगीन परदों से छनकर आती धूप कमरे को और भी उजला बना रही थी। कोनों में रखे शो–पीस और मंदिर के पास की सजावट माहौल को पवित्र बना रही थी। हवन ठीक शाम चार बजे...
अपराजिता जब पहली बार जब उस छ:फुटे पारिजात से मिली तो उसे लगा मानो वह किसी पुराने परिचित को देख रही हो। उसकी उपस्थिति में एक ऐसी शांति थी जो झील के मौन की तरह आत्मा तक उतर जाए। वह क्षण - क्षणभर का नहीं था, भीतर ही भीतर किसी नी उमंग के बीज के अंकुरित होने जैसा था।
नीतू...
क्य बताऊँ किसलिए बेजार हूँ
क्या बताऊँ किसलिए बेजार हूँ
रोज के हालात से लाचार हूँ
तरबतर हैं चप्पलें बरखा बगैर
दुर्गंध से भरा हुआ बाजार हूँ
मकानों में पैबस्त हैं नाले सभी
उम्मीद से भरा हुआ त्योहार हूँ
बड़े-बड़े मसले यहाँ का तौर हैं
छोटे मुद्दों का नहीं दरबार हूँ
मुकाबिल किसी रोज़ हो तो ज़रा
मैं भी तेरा ही तो परिवार हूँ
बदल रहा हूँ कबसे लिफाफों में
तरोताजा...
कुछ, न पाने की कसक
सब कुछ होने से ज्यादा है।
चाँद समूचा खिड़की में
पर अंधकार से वादा है
मंज़िल पर आ बैठे हैं
प्यास मगर है राह की बाकी
जो छूटा बस वो ही भीतर
अजब अनकहा इक बैरागी
कुछ, न पाने की कसक
सब कुछ होने से ज्यादा है,
हर इच्छा का पूरा होना
इक दलदल बन जाना है,
बहने के यदि रस्ते न हो
कमल नित नया खिलाना...
यदि समाज में जड़ता है,
ये जड़ता कौन मिटाएगा?
किसकी ज़िम्मेदारी है ये,
राहें कौन दिखाएगा?
हर चॉक की रेख से पूछो,
किसने दुनिया बदली है?
हर पुस्तक के पृष्ठ से सुन लो,
किसकी मेहनत झलकी है?
यदि शिक्षक ही मौन रहेगा,
तो दीपक कौन जलाएगा?
किसकी जिम्मेदारी है……
‘शब्द’ तुम्हारा बदले जीवन,
तो क्यों थकना क्यों रुकना है।
हर ‘संवाद’ है नव आंदोलन,
प्रतिपल आगे बढ़ना है
ज्ञान मशाल जो तुमने थामी
आगे कौन...
योग एक दिवस नहीं
सतत् की जाने वाली क्रिया है,
जिसमें स्वयं को लगातार
रखना होता है एकाग्र और स्थिर।
श्वास की गति में लानी होती है समता
चिंतन को निर्मल बनाना होता है।
हर आसन में आत्मा की पुकार सुननी होती है,
हर क्षण में जागरूकता को साधना होता है।
यह शरीर का नहीं,
मन, बुद्धि और आत्मा का अनुशासन है।
योग तप है, योग प्रेम है,
योग जीवन...
टिटहरी की चीख"
कहानी : टिटहरी की चीख
जोहड़ के किनारे शाम उतर रही थी। सुनहरा सूरज पानी में अपना चेहरा निहार रहा था। वहीं, एक नन्हा सा टिटहरी का जोड़ा अपने बच्चों के साथ बैठा था। माँ-पापा टिटहरी कभी अपने पंखों से बच्चों को छूते, कभी उनकी चोंच से प्यार करते। पूरा परिवार खुश था—शांत और सुरक्षित।
तभी झील के किनारे...
एक जंगल था। सावन - भादों में तो बहुत ही घना और हरा-भरा हो जाता था। उस जंगल में बहुत सारे मलबरी यानी शहतूत के पेड़ थे। और शायद इसीलिए वहां बहुत सी तितलियाँ रहा करती थी। दिन में तितलियाँ तो रात को जुगनू…. जंगल क्या बस देखते ही लगता था जैसे हम किसी सपनों की दुनिया में आ...
कागज की नाव..
रात भर बादलों ने
जमकर किया नृत्य
हर छत-हर पात पर
कुछ इस तरह कि
सूरज खुलकर मुस्काना भूल गया
बस धीरे-धीरे भीगी
हर चीज़... हर कोना... हर सरमाया ।
बस चुपचाप आकर रख दी
थोड़ी नमी, थोड़ी थकन जैसे ।
दरवाज़े पर पानी ने दस्तक दी,
मैंने खींच लिए कदम पीछे
चप्पलें भी भीगी-सी बोलीं —
"आज कहीं जाना मत।
बस बैठो खिड़की के पास
थोड़ा देखो ये मौसम, बस।"
न...
आयस्टर मशरूम की खेती एक लाभकारी व्यवसाय है, जिसे छोटे निवेश के साथ भी शुरू किया जा सकता है। यह मशरूम अपनी पौष्टिकता, स्वाद और बाजार में मांग के कारण लोकप्रिय है। इसे घर पर, छोटे स्तर पर या बड़े स्तर पर व्यावसायिक रूप से उगाया जा सकता है।
1. आयस्टर मशरूम क्या है?
आयस्टर मशरूम (प्ल्यूरोटस जीनस) एक सफेद, हल्के...























