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कसक #नईकविता #प्रीतिराघवचौहान
कुछ, न पाने की कसक
सब कुछ होने से ज्यादा है।
चाँद समूचा खिड़की में
पर अंधकार से वादा है
मंज़िल पर आ बैठे हैं
प्यास मगर है राह...
TheTeacher
यदि समाज में जड़ता है,
ये जड़ता कौन मिटाएगा?
किसकी ज़िम्मेदारी है ये,
राहें कौन दिखाएगा?
हर चॉक की रेख से पूछो,
किसने दुनिया बदली है?
हर पुस्तक के पृष्ठ...
टिटहरी की चीख
टिटहरी की चीख"
कहानी : टिटहरी की चीख
जोहड़ के किनारे शाम उतर रही थी। सुनहरा सूरज पानी में अपना चेहरा निहार रहा था। वहीं, एक...
श्वेतलाना
एक जंगल था। सावन - भादों में तो बहुत ही घना और हरा-भरा हो जाता था। उस जंगल में बहुत सारे मलबरी यानी शहतूत...
कागज़ की नाव
कागज की नाव..
रात भर बादलों ने
जमकर किया नृत्य
हर छत-हर पात पर
कुछ इस तरह कि
सूरज खुलकर मुस्काना भूल गया
बस धीरे-धीरे भीगी
हर चीज़... हर कोना... हर...