शिक्षित हो हर घर परिवार 

 

सभी बच्चों का समवेत स्वर-) 

सुनो सुनो भाई सुनो सुनो 

सुनो सुनो भाई सुनो सुनो 

 

(सभी बच्चे) 

चलो चलें एक नए सफर पर 

देखें नई कहानी एक

ना दादी ना नानी जिसमें

ना कोई राजा  रानी देख

 

आली रे आली आली रे आली शिक्षा की नई लहर आली ( जोर से रुखसाना )  

 

नमस्कार आज के मुख्य समाचार 

निपुण की होगी पूरे देश में जयजयकार । सभी स्कूलों का हो रहा कायाकल्प। अब सरकारी विद्यालय भी दे रहे आन लाइन व आफ लाइन शिक्षा। समझ के साथ पढ़ेंगे, तभी तो निपुण बनेंगे । पूरे देश में नयी शिक्षा नीति लागू। (मुस्कान) 

दादी – अनाज फटकते हुए – अरी करमजली! तोसू कैक बेर कह ली यू कागद पत्र छोड़ के भैंसन के न्यार कू चली जा। 

बच्ची-ना माई। ये समाचार पूरे सुन लूँ फिर जाऊँगी। 

दादी-अरी तेरो नाम कटे भी साल हो गो। अब कहा अंदरसी ले रईए… चल दरांती उठा। 

ओ माई अनपढ़ को जानो अब नाय 

जाऊँगी मैं तो पढ़ने कू। 

तभी दरवाजे पर स्कूल अध्यापिका आती हैं.. 

अम्मा जी… क्या आप जानती हैं शिक्षा का सभी को अधिकार है। एक पढ़ी लिखी नारी दो घर को रौशन करती है। 

 

सभी बच्चे एक साथ –

 बेटी आज पढ़ाओगे

दो घर को चमकाओगे

 

आप सुवीना और इसकी दोनों बहनों का दाखिला आज ही स्कूल में कराओ और 

आज ही से आप भी अपनी एक छोटी सी कॉपी बनाओ। मैं आपको भी रोज एक घंटे पढ़ाने आऊँगी। 

दादी-अरी कहा कह रही है। बूढ़े तोते पढ़ैं कहीं। 

मैडम जी – आप सब छोड़ो बस लाओ सबके परिवार पहचान पत्र और आधार कार्ड। 

दादी भीतर से कुछ कागज लाकर देतीं हैं। 

 

आहा मजे हैं स्कूल खुल गए  (छोटे बच्चे) 

फिर विद्यालय जाएँगे 

पढ़ाना लिखना सीखेंगे 

देश को हम चमकाएँगे

 

(गांव में बच्चे खेल रहे हैं) 

विद्यालय के कोच-अरे बच्चों क्या खेल रहे हो?

शिक्षित हो हर घर परिवार
रंगोली काजल द्वारा बनाई गई।

फुटबॉल गुरु जी।

क्यों खेल रहे हो?। 

अजी मजे करने के लिए। 

मजे तो ठीक हैं पर 

फुटबॉल खेलने के नियम होते हैं। खेल को यदि नियमों के अनुसार खेला जाए तो हम न केवल अपने गाँव का बल्कि देश का नाम चमका सकते हैं। 

ठीक है जी हम भी चमकाएंगे अपने देश का नाम! हमें भी सीखने हैं नियम। 

(सभी बच्चे गुरु जी के साथ) 

यदि पहुंचना आसमान तक

समझ समझ कर पढ़ना होगा

विश्व गुरु बनना गर तुमको

सबको मिलकर बढ़ना होगा

 

 ( बच्चे उदास बैठे हैं) 

दो छोटे बच्चे थाली लेकर गाना गा रहे हैं,

बिलैय्या लेकर उड़ी मलाई

मरियल छोरी भाज न पाई

“दीखे ना भाई दीखे ना

बुढ़िया हो गई दीखे ना” और इसके बाद ये दोनों थाली बजाते (इसराना नम्मा) 

 

तभी घर में स्कूल की अध्यापिका आती हैं। अरे तोसीना ये तुमने बच्चों का क्या हाल बना रखा है? आज स्कूल में डॉक्टर साहब आए थे उन्होंने बताया नम्मा के स्वास्थ्य के बारे में बताया। इसके शरीर में खून बिल्कुल नहीं है और दूसरी में विटामिन ए की कमी बताई। ये दवाएँ इन्हें दे देना और इन्हें खाने में पौष्टिक भोजन दिया करो। दोनों कुछ बातें करती हैं। 

 

विद्यालय की कौशल कक्षा का एक दृश्य.. 

बच्चे अलग समूहों में तरह तरह के हुनर सीख रहे हैं। 

कहीं टोकरी बुनी जा रहीं हैं तो कहीं रोबोट बनाया जा रहा है। कहीं कशीदाकारी चल रही है तो कहीं कृषि की नई तकनीक पर काम चल रहा है। 

कोई मिट्टी के खिलौने बना रहा है। 

अचार मुरब्बे से लेकर सरगम तक व पेंटिंग, कम्प्यूटर और सिलाई मशीन सबके सब लगे हैं। एक अलग ही धुन में। 

(निपुण नया भारत 

जगर मगर भारत 

निपुण भारत का सपना 

हर बच्चा सीखे समझ संग पढना) सभी बच्चे 

  

चलो बंधुओं आज चलें हम

शिक्षा का अलख जलाना है 

हर घर को साक्षर होना है 

पढ़ना और पढ़ाना है 

 (सभी बच्चों का समवेत स्वर-) 

 

VIAPRITI RAGHAV CHAUHAN
SOURCEPritiRaghavChauhan
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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