Tag: Pritiraghavchauhan
गाँव का बाशिंदा
माना कि साल अभी नया नया सा है
चहूँ ओर कोहरे का छाया धुँआ सा है
मेरा दर मेरी खिड़की बंद है बेज़ा नहीं
बाहर सर्द समन्दर...
उपसर्ग और प्रत्यय जवाहर नवोदय प्रीति राघव चौहान
उपसर्ग और प्रत्यय
वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं।
उत्पत्ति के आधार पर शब्द के तीन भेद होते हैं।
• रूढ़
• यौगिक...
ऐ हिंन्दोस्तान
आंधियों से तुझको लड़ना सिखा दूं तो चलूँ
ऐ सेहरा तुझको गुलशन बना दूं तो चलूँ
मुझको तो जाना ही है ऐ हिंन्दोस्तान एक...
देशभक्ति गीत
मैं वतन का हूं सिपाही
यह वतन हमदम मेरा
इसके सजदे करते करते
बीते यह जीवन मेरा है
मैं वतन कहूं सिपाही
यह वतन हमदम...
कविताएँ
कविताएं अच्छी हैं
परन्तु कविताएं
कागज़ के सिवा कुछ भी नहीं
यदि उनमें दिशाबोध न हो
और विभीत्स कविताएं तो
कविताओं पर भी दाग हैं
जो किसी सर्फ एक्सेल, ब्लीच...
चाँद
उसे चांद से कम
कुछ नहीं चाहिए
उसे क्या मालूम
चांद पर चट्टानों के सिवा कुछ भी नहीं
उसे क्या मालूम चांद पर परिया नहीं है
नहीं मिलेगी वहां...
विद्यालय
हाल देखिए विद्यालय का कैसे काम तमाम हुआ
सारा सरकारी अमला क्यों कर है बदनाम हुआ
नौ तक आ जाते हैं छ:के छ:बारी-बारी
राशन बँटते ही कर...