Saturday, May 10, 2025
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नई कविता एक किसान की कसक

एक किसान की कसक...  नहीं चाहता मैं विरोध को नहीं चाहता गतिरोध को नहीं चाहता लालकिला मैं मुझको बस इतना भर कर दो कर्ज़ो से बस बाहर कर दो मैं...

उस द्वार के पार

उस द्वार के पार रह जाएंगे सारे वहम् सारे अहम् संग्रह सभी विचारों के सब गठरियाँ सब ठठरियाँ पत्थर सभी मजारों के उस द्वार के पार रह जाायेंगे .. प्रीति राघव चौहान ।

किस्से

किताबों में किस्से हैं स्याह सफेद किरदारों के हमारे /तुम्हारे /इसके /उसके जाने किस किस के किस्से  जो काले हर्फ़ों में...
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