Tuesday, December 10, 2024
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बचपन और बाली

बचपन और बाली खेत और खेल सूरज तक हेल* बचपन सी बालियाँ* बालियों की बेल नन्हीं उंगलियाँ अनजान फांस से *सिल्लो की आस में  जाती बना रेल बस्ता बाट पर  *बाट रहा जोहता निगल न...

मिनी पाकिस्तान नई कविता

    मिनी पाकिस्तान           कागज़ पर खिंची लकीरें          चाक दिल ओ जान हुए            इधर...

औरतें जब बैठती हैं..

औरतें जब बैठती हैं..   औरतें जब बैठती हैं एक साथ चंद पल फुर्सत के निकाल मुस्कुराती हैं हँसती हैं चहकती हैं फफकती हैं और कभी-कभी शोलों सी धधकती हैं  औरतों के...

नृत्य /Dance

उसके कदम थिरकते हैं माँ वृंदावन को जाती है जैसे कबूतर मूंद कर आँखें कर रहा हो इंतजार अनहोनी टल जाने की बंद उन...

गिनती

वो आये/औंधे किये गये लगाये गये ठप्पे/जतन से सफेद अनपढ़ कामगारों ने गिन डाले सारे गिनती सीखना उतना बड़ा काम नहीं था जितना गिनती को बनाए रखना...

पीपल देव के शनि

चलो चलें एक नए सफर पर कहते नई कहानी एक ना दादी ना नानी जिसमें ना कोई रात की रानी देख ढलता सूरज चढ़ती रातें हर दिन ढले जवानी...
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