Tag: बाल कविता प्रीति राघव चौहान
बारिश
आज मजे हैं बारिश हो गई
बस्ते से बस कुट्टी है
छुट्टी हो या न हो भैया
अपनी तो बस छुट्टी है
आज मजे हैं......
छप छप करती बारिश...
टॉफ़ी नहीं कॉपी दो
टॉफ़ी देकर खुश करते हो
मुझको कॉपी लाकर दो
बहुत हुये अब उतरे कपड़े
मुझको वर्दी लाकर दो
हाथ गाड़ियाँ बहुत चलाई
बालू महल बनाये खूब
ढक्कन डिबिया जोड़ लिये...