Tag: प्रीति राघव चौहान नई कविता
आत्मविश्वास की उड़ान
कविता: "आत्मविश्वास की उड़ान"
तू क्यों डरती है ऐ नारी,
तुझमें जब शक्ति छिपी सारी
बेशक है ये अंजानी सी,
तू स्वयं तो है पहचानी सी।
तूफानों से...
बस तुम और मैं..
अब क्या होगा इस दुनिया में?
जो आकर कोई पूछेगा
वो स्वयं ही अपनी पहेली को
मेरे शब्दों में बूझेगा
अनघड़ औघड़ बेजां बातें
क्यों कर- कर वक्त गुजारें...
लक्ष्य नया अपनाना होगा
लक्ष्य नया अपनाना होगा
लकीर के फकीर को
कब मिली डगर नई
आंधी में अधीर को
कब मिली सहर नई
सबसे हटकर चलना है तो
लक्ष्य नया अपनाना होगा
दुनिया तेरे...
चलो इक बार फिर बैठें बतियाएं
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चलो इक बार फिर
बैठें बतियाएं
तुम ही तुम कहो
निहारूं मैं
दूर तलक हम चलें
साथ साथ
रास्ते के कांटे तेरे
बुहारूं मैं
रुक कर देखो कनखियों
से तुम
नज़र तुम्हारी नज़रों से
उतारूं...