Tag: #प्रीति राघव चौहान /चन्द शेर
चन्द अशआर
ज़िन्दगी वो किताब है
जिसमें हैं बेहिसाब गुल्म
गज़ल जो ढूंढ लेता है
बस वही है सुखनवर
धूप उतरती है पेड़ों से
चाँदनी बन कर
जैसे उतरा हो कोई...
चंद अशआर
चंद अशआर
मैं शिकायत भी करता तो भला किससे
मैंने मोहब्बत की और मैं मकतल में हूँ
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अब उसको मुझसे शिकायत न होगी
ज़िन्दा है वो मैंने मरकर...
चन्द शेर
मेरे जेहन में रिश्तों की जो परिभाषा थी
वो बदल दी उसने जिसे खुदा से मांगा
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इस दफा हिसाब सही
जो निकले गुणा भाग कर
जब मेरी बारी...