Mirage/मृगमारीचिका/ग़ज़ल

तलाश ए जिन्दगानी में भटकना दर बदर मेरा

0
1139

तलाश ए जिंदगानी में

भटकना दरबदर मेरा

मृगमरीचिका के संग

रोज तय सफर होता है

एक तरफ जान थी मेरी

एक तरफ जान का टुकड़ा

जलजला दोनों सूंं फैला

क्या यही कहर होता है

देखकर घर मेरा ऊंचा

वह यह आह भर बोला

चार दीवारों का होना

क्या सचमुच में घर होता है

चाहतों पर उसकी

खरा उतरना जीते जी

कांटो पर चलना है जैसे

 पीना कोई जहर होता है

प्रतिपल कल कल

कर कल मैं जीना

कैसे कहूं कठिन बहुत

प्रीति प्रति पहर होता है

VIAPriti Raghav Chauhan
SOURCEpritiraghavchauhan
SHARE
Previous articleTurn to Home
Next articleदेखें हैं वो भी जमाने
नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

LEAVE A REPLY