Thursday, January 16, 2025

विशेषण (अभ्यास कार्य पत्रक)

                सक्षम हेतु अभ्यास कार्य पत्रक  जिला मेवात विशेषण                ...

गमले में कानन

मेरे समक्ष है गगन खुला मेरे समक्ष है गगन खुला मैं गमले में कर रही हूँ कोशिश खुलने की गगन सम घर को वन बनाने की जिद...
नया साल 

नया साल 

नया साल Priti Raghav Chauhan  ये जो नया साल है अब नया सा नहीं लग रहा दशक दर दशक ये पाश्चात्यता के रंग में रंग रहा है ये सर्द...

बोलो रानी/जीजिविषा

जीजिविषा रोज रचती है आड़ी तिरछी लकीरों से काले नीले लाल पीले सतरंगी सुनहरे पल… रास्तों की कालिख धोने को हाथ हैं मशीन भी...
रंग हवा में केसरिया है नीला पीला लाल

बोलो सा रा रा रा

रंग हवा में केसरिया और नीला पीला लाल गलियों में निकली हैं टोली मच रहा खूब धमाल बोलो सा रा रा रा जोगीरा सा रा रा रा खबरों में है...

ऋ और र…..

'ऋ' और 'र’ में अंतर           ‘र’ और ‘ऋ’ में अंतर को समझना आपके लिए फायदेमंद साबित होगा क्योंकि कभी-कभी कुछ...

निपुण भारत नया भारत (मिशन मोड में भारतीय शिक्षा नीति)

जानकर परिवेश उसका   करें उसके दिल की बात रोज-रोज, कदम दर कदम  चलना होगा उसके साथ  क्या सीखा? कितना सीखा? और क्या बाकी अभी? सीखने होंगे हमें उसके अपने शब्द...

मैंने देखा एक पहाड़ कटा-कटा

मैंने देखा  एक बड़ा सा पहाड़ कटा- कटा केक जैसा मैंने देखा पहाड़ पर झरना रुका- रुका घर के नल जैसा मैंने देखी नदी स्कूल के आगे बने नाले जैसी मैंने देखा समुन्दर गाँव के...
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धूप उतरती है पेड़ों से चाँदनी बन कर जैसे उतरा हो कोई आँगन में रागिनी बन कर हर कतरा है शबनम सा शफ्फाक ऐ दोस्त जैसे ठहरी हो शफ़क़ द्वारे रातरानी बन कर
मिशन मोड में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
मन के पथ पर दौड़ रहे...

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परीक्षा

परीक्षा  परीक्षा उनके लिए नई बात नहीं वो रोज़ देते हैं असल जीवन में जीने की परीक्षा  विद्यालय उनके लिए स्वप्न स्थली है महज जो पाठ किताबों में लिखे...
परीक्षा

Guest.. Maina

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चन्द अशआर

ज़िन्दगी वो किताब है  जिसमें हैं बेहिसाब गुल्म गज़ल जो ढूंढ लेता है बस वही है सुखनवर धूप उतरती है पेड़ों से  चाँदनी बन कर  जैसे उतरा हो कोई...
धूप उतरती है पेड़ों से चाँदनी बन कर जैसे उतरा हो कोई आँगन में रागिनी बन कर हर कतरा है शबनम सा शफ्फाक ऐ दोस्त जैसे ठहरी हो शफ़क़ द्वारे रातरानी बन कर

उजड़े हुए दरीचे उनींदे से दयार

उजड़े हुए दरीचे उनींदे से दयार पूछ रहे हैं -क्या  खोजते हो यहाँ आकर बार बार करतें हैं कनबतियां आपस में फुसफुसाकर... बाज़ार सारे ढह गए ढह गई बसापत किले में...

आज का विचार

मन के पथ पर दौड़ रहे  जितने गहन विचार  उतना ही छाया रहे  अन्तरघट अंधियार  जितना निर्मल चित्त ले  तू आया हरि के द्वार  उतना ही रोशन दिखे  ये सारा संसार 
मन के पथ पर दौड़ रहे...

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