HasyYoga

मेवाती

दो दिन से लंच बॉक्स स्कूल में भूलरही थी तीसरे दिन फिर एक बैग और लंच बॉक्स लिए वह स्कूल पहुंची। विद्यालय के सभी...

हिन्दी में अल्पज्ञ ए आई

हिन्दी में अल्पज्ञ ए आई AI आज के दौर का आधुनिक मानव निर्मित इंसान.. हर क्षेत्र में तेजी से अपने पैर पसार रही है। लेकिन...

फोन का उपवास

#फोन चलो आज फोन का उपवास करते हैं https://pritiraghavchauhan... चलो आज फोन का उपवास करते हैं     चलो आज फोन का उपवास करते हैं  नहीं देखेंगे व्हाट्सएप चैट  ना देखेंगे...

तीज

तीज pritiraghavchauhan.com सज सँवर कर तीज पर   मेंहदी सजी हथेलियाँ  भर-भर कलाई चूड़ियाँ  अंजन भरी आँखे लिये  होठों पे रचा सुर्खियाँ लाल पीले घाघरे सिर पर हरी चुनरियाँ रुनझुन करती पायलें और साड़ियों में...

किताबें

किताबें किताबों में किस्से हैं कलमा है चौपाई भी तेरी मेरी इसकी उसकी सी लगती कविताई भी किताबों में कल है रोमांचक पल हैं काले हर्फ़ों में लिखें...

 उम्र भर जिनको तराशा इंसान बनाकर रात दिन  देखते...

2मार्च 2009..एक मुस्लिम बहुल इलाके में छत्तीस वर्ष की आयु में गैस्ट टीचर के रूप में नियुक्ति। सुना था मिनी पाकिस्तान है! किन्तु पहुंचने...

उत्कर्ष

प्रीति राघव चौहान उत्कर्ष  PritiRaghavChauhan प्रीति राघव चौहान   उत्कर्ष     कोलाहल चहुंओर व्याप्त है द्वंद चतुर्दिक घेरे मैं और मैं की अमराई में निस दिन लगते फेरे तू- तू...

चल बनकर बंजारा

गीत  चल बनकर बंजारा पगले करता जा ता रा रा रा बनकर मेघ मल्हार बरस जा गर जीवन है अंगारा चल बनकर बंजारा पगले करता जा ता रा रा रा   राह...

राम

जय श्रीराम तुम ही मेरी जीवन धारा  तुमसे पावन ये जग सारा सृष्टि के कण- कण में समाहित  हे रघुनन्दन नाम तुम्हारा  हे राघव मैं सृजन तुम्हारा  तुम्हें समर्पित...

दुनिया दुखी फिरे भाई..

              दुनिया दुखी फिरे भाई…    दु:ख की परिभाषा केवल वो लोग बता सकते हैं जो इस दौर से गुजरे हों। एक छोटे बच्चे के लिए जहाँ...

मॉरीशस में गिरमिटियाओं का स्वर्णिम काल

हिंद महासागर का तारा और चाभी वाला यह देश जो विशाल नीला सागर और स्वप्निल दुग्धिया समुद्र तट से घिरा हुआ है और...

मारीशस में सम्मानित हुई हिन्दी भाषा

नौवे अंतर्राष्ट्रीय हिंदी भाषा सम्मेलन में सहोदरी सम्मान से सम्मानित श्रीमती प्रीति राघव चौहान जो कि गुरुग्राम, हरियाणा (भारत) की मूल निवासी हैं। वे...

आधी आबादी

आधी आबादी.. हिजाब में, घूंघट में, साड़ी में, दुपट्टे में लिपटी है, लिपटी रहे! क्या फर्क पड़ता है? मुट्ठी भर आवारा महिलाओं की आसमानी उड़ान से जो परकटी, गोनकेश,अनोखे वेश...

सफर में हूँ…

सफर में हूँ निरन्तर मैं सड़क पर ज़िन्दगानी की तुम्हें लगता है ठहरा हूँ मैं कब से एक ही ठीये बहुत सी खामियां लेकर उठा भी...