स्वतंत्रता दिवस पर दिल से

15August

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 बात जब जश्न ए आजादी की चली है तो चलो हम भी कह दें..

तिरंगा शान है मेरी तिरंगा जान है मेरी

इसके रहते मुझे अब क्या कमी है

मुझे प्यारा है हिंदुस्तान जान से

इससे बढ़कर दूजा कोई नहीं है

       इन्हीं पंक्तियों के साथ मैं अपने आदरणीय गुरुजन, सम्माननीय मुख्य अतिथि महोदय व अपनी बहनों व भाइयों का अभिवादन करती हूँ। आज हम आजादी का बहत्तरवां जन्मदिन मना रहे हैं। भारत तो यूँ भी विविधताओं से भरा देश है। यहां विभिन्न संस्कृतियां पाई जाती है। अतः विभिन्न उत्सव मनाना लाजिमी है। लेकिन खुशियों के गुब्बारे हवा में उड़ाने से पहले, रंग और अबीर उड़ाने से पहले हमें याद रखना होगा उन बलिदान देने वाले वीरों को, वीरांगनाओं को जिन्होंने वतन ए आजादी के लिये अपनी जान की बाजी लगा दी ।

 याद रहें वो वीर सपूत भी जो तिरंगे की आन बान शान के लिये सर्द हिमालय की चोटियों पर, तपते रेगिस्तान में और तटीय क्षेत्रों में दिन रात खड़े हैं।

   मेरे जेहन में एक सवाल लगातार उठता है आजादी तो हमें मिल गई परन्तु हम इस स्वतंत्रता का क्या सिला दे रहे हैं? कहीं हम दिशाहीन तो नहीं हो रहे? हमारा लक्ष्य क्या है? हम देश को क्या दे रहे हैं???

    हम एक सौ बत्तीस करोड़ देशवासी यदि ईमानदारी और नेक नीयत से अपने कर्म करें तो अमेरिका जैसे देशों को पीछे छोड़ सकते हैं।

     जो जहां है वहां अपने काम में ईमानदारी बरते। विद्यार्थी अपनी पढ़ाई में, सैनिक सेना में, शिक्षक, डॉक्टर सेवा में और व्यापारी व्यापार में.. प्रतिदिन हम अपने छोटे-छोटे कार्यों को सच्चाई से करेंगे तो मेरा प्यारा भारतवर्ष दुनिया भर में अपना परचम ऊंचा रख पायेगा।

याद रहे बंधुओं मैंने अपना घर ईमानदारी से साफ किया और कूड़ा पड़ोसी के घर के आगे कर दिया तो भी हम देश को कूड़ेदान बना देंगे।

     बाहर के मुल्कों में भारत भिखारियों के देश के नाम से जाना जाता है। हम कब तक जहालत में पड़े रहेंगे? आखिर कब तक??? एक सौ बत्तीस करोड़ लोग चाहें तो क्या नहीं कर सकते?

  मान देश का रखना बंधु

 जान की क्या परवाह करे

वही है सच्चा हिंदुस्तानी

जो सच को सौ बार मरे

  आइये हम सभी मिलकर ये संकल्प लें हम अपने सभी कर्तव्यों को पूरी ईमानदारी कर्तव्यनिष्ठा से निभाएंगे.. जय हिन्द ! जय भारत !

         प्रीति राघव चौहान

 

VIAPriti Raghav Chauhan
SOURCEप्रीति राघव चौहान
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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