ये सूरज है… चाँद जैसा

हवा में लटके                                 धूल और धुंए की महीन चादर में      अपने अस्तित्व को तलाशता              शहर की तेज रफ्तार में                    धीरे धीरे भागता                                   ये सूरज है.. चाँद जैसा                        ये सूरज है भीड़ से त्रस्त                  आसक्ति और मोह से से बंधा                संवेदना- शून्य आले में सजा                 ये सूरज है…… चाँद जैसा                      ये सूरज है शोरगुल में डूबा                   ट्रैफिक जाम में अटका                     चहुँ ओर बिखरी मीनारों पर लगे  स्मृतियों के पोस्टरनुमा जाले में फँसा       आज से बेफिक्र सुनहरे कल को तलाशता                                         ये सूरज है….. चाँद जैसा                “प्रीति राघव चौहान”

VIAPritiRaghavChauhan
SOURCEPritiraghavchauhan Chauhan
SHARE
Previous articleमैं भी कविता हो सकती थी
Next articleचलो एक बार…
नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

LEAVE A REPLY