विश्व पटल पर हिंदी 

आजाद हुए अंग्रेजों से

अंग्रेजी उनकी बनी रही

अपने ही घर में हिंदी से

 हिंदी वालों की तनी रही 

बहुत हुई नुक्ताचीनी 

अब हिंदी को अपनाना है 

विश्व पटल पर हिंदी का 

हमको परचम फहराना है

 

 मंदारिन भाषा बहुत कठिन

 पर चीनी सब बोलें चीनी 

 बढ़ी जा रही हैं आगे 

अरबी, अंग्रेजी,स्पेनी

हिन्दी भाषा को दे मशाल 

सबसे आगे ले जाना है 

विश्व पटल पर हिंदी का

 हमको परचम फहराना है 

 

हिंदी करने को तत्पर 

और हिंदी से कतराते हैं 

हिंद दीवाने सड़कों पर

 अंग्रेजी गाने गाते हैं 

अनिवार्य रूप से हिंदी को 

हर विद्यालय में लाना है

 विश्व पटल पर हिंदी का

 हमको परचम फहराना है 

 

मातृभाषा वह तेरी हो 

या मेरी नमन सभी को है

 राष्ट्रभाषा की कमी मगर 

खलती बहन सभी को है 

जोर शोर से चहुंओर 

अब हिंदी बिगुल बजाना है

 विश्व पटल पर हिंदी का 

हमको परचम फहराना है 

‘प्रीति राघव चौहान’ 

 

VIAPriti Raghav Chauhan
SOURCEप्रीति राघव चौहान
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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