लघुकथा
नया सवेरा
निधि उम्र के उस पड़ाव पर थीं , जहाँ पहुँच कर व्यक्ति दिशा शून्य हो जाता है। पैंसठ की उम्र और तमाम बीमारियां ।बेटियां अपनी घर गृहस्थी में मगन और बेटा लंदन में अपने बच्चों के साथ ।बस घर और घर की दीवारें ।शशिकांत भी दो साल पहले साथ छोड़ चुके थे ।यूं तो निधि सन सत्तर की एम. ए. थीं परंतु सदा रहीं गृहणी ही ।
अब तो पैरों ने भी साथ देना छोड़ दिया । वह तो भला हो शशिकांत जी का जिन्होंने जाने से पहले निधि की आंखों का ऑपरेशन करा दिया । आज जब वह मुड़कर अपने गुजरे अतीत को याद कर रही थी तो अचानक उसकी नजर उन ट्रॉफियों पर पड़ी जो उन्हें कॉलेज में लेखन के लिए मिली थी ।
जैसे तैसे हिम्मत जुटाकर निधि ने ऊपर की अलमारी से अपनी सारी पुरानी डायरियां निकालीं । उनमें अनगिनत कविताएं थीं ।निधि उन कविताओं को पढ़ते-पढ़ते जाने कब सो गई उसे पता ही नहीं
चला । सुबह भोर की किरण फूटते ही अचानक मोबाइल के गुडमॉर्निंग मैसेज से उसकी तंद्रा भंग हुई । मैसेज पर लिखा था अनंत yatra.com, यह एक लिंक था जिस पर क्लिक करते ही ढेरों कथा-कहानियां उसके सामने थी ।
बस निधि के लिए यही नया सवेरा था ।आज निधि की अपनी वेब दुनिया है और करोड़ों प्रशंसक ।