जय श्रीराम

तुम ही मेरी जीवन धारा 

तुमसे पावन ये जग सारा

सृष्टि के कण- कण में समाहित 

हे रघुनन्दन नाम तुम्हारा 

हे राघव मैं सृजन तुम्हारा 

तुम्हें समर्पित सृजन हमारा

भक्ति ज्ञान वैराग्य प्रदाता 

सदाचार और त्याग के दाता जय श्री राम

ओजस्वी है रूप तुम्हारा 

गीत  तुम्हारे हर घर गाता

हे राघव मैं सृजन तुम्हारा 

तुम्हें समर्पित सृजन हमारा

 

वेदों का सब सार तुम्हीं हो

आखर अर्थ अलंकार तुम्हीं हो

निर्गुण उपमारहित हे रघुवर

हर गुण का भंडार तुम्हीं हो

हे राघव मैं सृजन तुम्हारा 

तुम्हें समर्पित सृजन हमारा

 

मद मेरा हर लो अविनाशी 

जड़ हूँ चेतन कर दो काशी 

दीन हूँ मैं तुम दीनानाथ हो

मोक्ष का तुमसे हूँ अभिलाषी

हे राघव मैं सृजन तुम्हारा 

तुम्हें समर्पित सृजन हमारा

SOURCEPriti Raghav Chauhan
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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