जय श्रीराम
तुम ही मेरी जीवन धारा
तुमसे पावन ये जग सारा
सृष्टि के कण- कण में समाहित
हे रघुनन्दन नाम तुम्हारा
हे राघव मैं सृजन तुम्हारा
तुम्हें समर्पित सृजन हमारा
भक्ति ज्ञान वैराग्य प्रदाता
सदाचार और त्याग के दाता जय श्री राम
ओजस्वी है रूप तुम्हारा
गीत तुम्हारे हर घर गाता
हे राघव मैं सृजन तुम्हारा
तुम्हें समर्पित सृजन हमारा
वेदों का सब सार तुम्हीं हो
आखर अर्थ अलंकार तुम्हीं हो
निर्गुण उपमारहित हे रघुवर
हर गुण का भंडार तुम्हीं हो
हे राघव मैं सृजन तुम्हारा
तुम्हें समर्पित सृजन हमारा
मद मेरा हर लो अविनाशी
जड़ हूँ चेतन कर दो काशी
दीन हूँ मैं तुम दीनानाथ हो
मोक्ष का तुमसे हूँ अभिलाषी
हे राघव मैं सृजन तुम्हारा
तुम्हें समर्पित सृजन हमारा