रही होगी वजह कोई.. प्रीति

वो अपनी लाश कांधे पर उठाकर कब का निकला है..

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रही होगी वजह कोई जो

उसने छोड़ दी महफिल

उसे मगरूर कहकर क्यों

भला हर पल चिढ़ाते हो

है ढाई चाल में माहिर

ना बैसाखियों पर जा

है लम्बी रेस का घोड़ा

क्यों उसको आजमाते हो

तुम्हें तो शौक है मसले

धुंए में उड़ाने का

 जो हल करता है हर मुश्किल

उसे क्योंकर रुलाते हो

वो जुगनू से सितारे देखकर

खुश है बहुत खुश है

उसे काहे को तुम अखबार के

पन्ने दिखाते हो

नहीं कहता ए मेरे दोस्त

हुआ वो सिरफिरा पैदा

ज़ुनूनी है फकत बस वो

तुम पागल बुलाते हो

वो अपनी लाश कांधे पर

उठाकर कब का निकला है

बोझ कैसा भी हो कम है

क्यों आंसू से डराते हो

        प्रीति राघव चौहान

 

VIAPriti Raghav Chauhan
SOURCEPriti Raghav Chauhan
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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