यशोधरा प्रश्न प्रीति राघव चौहान
गौतमबुद्ध से यशोधरा का प्रश्न

जाने कितनी वासवदत्ता 

आई होंगी द्वार तिहारे

ओढ़ चांदनी और अंगड़ाई 

लेकर होंगे पंथ बुहारे 

किंतु देव में मलिन

 सहमी हुई सी एक लता

 आजन्म रहूँगी कृतज्ञ 

जो होऊँ बंदी अंक तुम्हारे

 आस हर एक मर चुकी

 सुर बीन निस्पंद है 

घिरी स्वप्न जालों से मैं

 अंधेरों से होता द्वंद है

 सुना है तुम सुन सको

 हो निजन तटों की बात

 मेरे मन की भी सुनो 

हो चुका गुम छंद है

 नयन नीर से भरे हुए हैं 

 किस विधि करूँ मैं स्वागत 

 कौन सा दीपक में बालूँ

 स्वागत में तेरे अभ्यागत

 साधन नहीं कुछ साधना का

 पास मेरे देवाधिदेव 

 कैसे करूं आराधना मैं

 तुम ही कहो मेरे तथागत

छोड़ मुझे तुम सकल जग को 

मुक्ति मार्ग समझाते हो

 स्वयं भागे जिस जहाँ से

 वह कंटक पथ दिखलाते हो 

समक्ष तुम्हारे यशोधरा है 

आंसुओं की धार बन 

कहो इसे आज सिद्धार्थ किस

 गौतम से मिलवाते हो??”प्रीति राघव चौहान” 

 

 

VIAPriti Raghav Chauhan
SOURCEप्रीति राघव चौहान
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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