मौन

0
1249

तोते टिटियाते नहीं
आलसी पग भी
दिन भर पड़ा रहता है
अपने छोटे टोकरे में
मछलियाँ तो पहले ही

बेजुबान नाचती हैं
इधर से उधर
घर में सभी प्राणी
जैसे बुद्ध के सानिध्य से उठ
चले आयें हों
खामोशियाँ खिलखिलाती नहीं
अब तारक मेहता का कोई
चश्मा लुभाता नहीं
स्प्राइट से सौ गुणा ज्यादा
कूल हो चुके हैं हम

कभी कभार घर का कोई
सदस्य फरमाईश के पत्थर
फेंकता है घर की शांत झील में
बुद्धू बक्से और छ:इंच की स्क्रीन के
आगे पैर पसारे सभी
रहते हैं नत मस्तक, मौन !
                 प्रीति राघव चौहान

SHARE
Previous articleटॉफ़ी नहीं कॉपी दो
Next articleKabhi Zindagi se Milo
नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

LEAVE A REPLY