मौन को आवाज दो
मौन को आवाज दोi

मौन को आवाज दो

बोलते हैं आज पत्थर

ज़िन्दगी को साज दो

गीत नित नूतन रचो

मौन को आवाज दो

ढक रहा काला कुहासा

क्षितिज तक की लालिमा

पीर है गहरी परन्तु

परों को परवाज दो

इक घरौंदे घोंसले तक

सीमित रखो न आसमान

हर सितारा है तुम्हारा

दिल से तुम आवाज दो

देख लेना कर ही देगा

तुमको सुखनवर एक दिन

सबसे ज़ुदा सबसे अलग

लेखन को गर अंदाज दो

मांग हो जब तुमसे ये

कुछ तयशुदा बातें कहो

मुस्कुरा जोड़ो हथेली

हो मूक अपने राज दो

क्यों दिखाना माज़ी की

बदशक्ल गुस्ताखियाँ

आने वाली पीढ़ियों को

खुशनुमा सा आज दो

“प्रीति राघव चौहान”

गुरुग्राम 29-12-2020

VIAPRITI RAGHAV CHAUHAN
SOURCEप्रीति राघव चौहान
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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