मैं शिक्षा विभाग में शरणार्थी हूँ
गैस्ट टीचर की कलम स

 

मैं शिक्षा विभाग में शरणार्थी हूँ 

लगा रहता हूँ जद्दोजहद में 

छिपाने अपने पैबंद 

लाता हूँ रवि बाजार से 

उतरन और पुरानी मसंद

पढ़ाना फिर वोट बनाना

और नोटों के चक्कर में 

देर रात तक पढ़ाना 

फिर भी जाना जाता मैं स्वार्थी हूँ 

मैं शिक्षा विभाग में शरणार्थी हूँ 

जब कोई एक्स्ट्रा ड्यूटी हो

तब मुझे पुकारा जाता है 

मेवात मोरनी जैसे को

मुझसे ही बुहारा जाता है 

मांग न बैठूं संगी से कुछ 

मुझको दुत्कारा जाता है 

आज भी उनकी कक्षा का

सबसे पिछड़ा विद्यार्थी हूँ 

मैं शिक्षा विभाग में शरणार्थी हूँ 

बिटिया हुई सयानी हैं

चर्चे उनके अब दुगने हैं

प्रौढ़ हो चला हूँ फिर भी

ताने स्त्री के तिगुने हैं 

बीमार बाप बूढ़ी माता

खर्चे मेरे अब चौगुने हैं 

घर की छत तक पक्की ना

रुके काम सौगुने हैं 

पक्का होने की चाहत में 

 समानता का अभ्यर्थी र्हूँ 

मैं शिक्षा विभाग में शरणार्थी हूँ 

जिस रोज उठूंगा दुनिया से 

वो दो सौ दो सौ कर देंगे 

मेरे इस टूटे-फूटे घर को 

पक्का सा मकबरा कर देंगे 

जाने से पहले कह दूंगा 

मजदूर ढूंढना बेटिन को

भीख से बेहतर वो भी है

अपना तो बिटौड़ा भर लेंगे

ढोता रोज मजे से अपनी ही अर्थी हूँ 

मैं शिक्षा विभाग में शरणार्थी हूँ 

“प्रीति राघव चौहान “

 

 

VIAPRITI RAGHAV CHAUHAN
SOURCEप्रीति राघव चौहान
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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