नीलोफ़र सुपुत्री श्री जमशेद खान
मेवात के ग्राम रेवासन से नीलोफ़र व सनोबर आजाद ने कोरोना काल में कठिन परिश्रम के बल पर उत्तीर्ण की जवाहर नवोदय की कक्षा छठी की परीक्षा

भागदौड़ में भूले जो

वो भी तो कहना है बन्धु

चुपके चुपके इतिहास रचा

वो भी तो लिखना है बन्धु

एक गाँव सड़क किनारे है

बालक उसमें सब प्यारे हैं

बस रस्ता दिखलाना है

वो शिक्षा दूत हमारे हैं

कोरोना काल की आंधी ने

जब सारे बन्द कपाट किये

कुछ बालक थे जो लगे रहे

 अविरत उन्नत ललाट लिए

ये छोटी सी इक टोली थी

मैडम इनकी हमजोली थी

चोरी छिपकर ये पढ़ते थे

इतिहास नया ये गढ़ते थे

ये नई तरह की शिक्षा थी

इसमें न कोई दीक्षा थी

बस खेल खेल में पढ़ना था

इक नया नवोदय गढ़ना था

ये बात नवोदय की उनके

जेहन में ऐसे बैठ गयी

दिन रात लगन से पढ़ना है

बस यह इक उक्ति पैठ

नौ गए परीक्षा में लेकिन

दो आए ऊँचा भाल लिए

ये बात है उस मौहल्ले की

जिसमें थे सभी सवाल किए

होगा सक्षम अपना भारत

भविष्य सदा उज्ज्वल इसका

 हर छात्र निपुण होगा इसमें

जब शिक्षक प्रखर प्रबल इसका..प्रीति राघव चौहान

कोरोना काल में राजकीय प्राथमिक पाठशाला रेवासन नूंह की दो छात्राएँ

नीलोफ़र सुपुत्री श्री जमशेद खान व सनोबर श्री आजाद ने जवाहर नवोदय परीक्षा उत्तीर्ण कर न सिर्फ़ इस भ्रांति को सिरे से नकारा कि प्रतिकूल परिस्थितियाँ हमारी राह में बाधक हैं वरन् उन्होंने यह भी सिद्ध किया कि बिना किसी आर्थिक सहायता के भी पढ़ाई संभव है। उनके माता-पिता को हार्दिक शुभकामनायें!

VIAPRITI RAGHAV CHAUHAN
SOURCEप्रीति राघव चौहान
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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