निपुण भारत मिशन और मूलभूत साक्षरता
केंद्र सरकार ने शिक्षा में अमूलचूल परिवर्तन लाने के लिए शुरु किया एक नया मिशन – निपुण भारत मिशन!जिससे देश के सभी विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा । इस मिशन का लक्ष्य है कक्षा तीसरी तक के सभी बच्चों मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान से परिचित कराया जाए। केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना को अंजाम देने के लिए स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग इस पूरे जोश के साथ जुट गया है। निपुण मिशन की आवश्यकता क्यों पड़ी ? इसका कारण विद्यार्थियों के बुनियादी ज्ञान में कमी होना कह सकते हैं। निपुण का उद्देश्य ही है कि बच्चे के आधार को मजबूत करके उन्हें पढ़ने लिखने व गणित के कौशल हासिल करने मैं सक्षम बनाया जाए। ताकि विश्व में वो एक रोल मॉडल बन सकें।
बचपन को दक्ष बनाने में जुटेगा पूरा तंत्र। राष्ट्रीय स्तर पर इसे विद्यालय और साक्षरता विभाग द्वारा संचालित किया जा रहा है जो बच्चों के सीखने अंतराल को भरना, सीखने व आकलन के लिए नई नई रणनीतियां बनाना मैं उन्हें लागू करना आदि कार्य करते हैं। राज्य स्तर पर इस योजना का संचालन शिक्षा विभाग द्वारा किया जा रहा है। जिसके लिए रिपेयरिंग कमेटी का गठन किया गया है। राज्य के सेक्रेटरी द्वारा इसका कार्यान्वयन किया जाएगा। जिला स्तर पर इस कार्य को उपन्यायधीश व उपायुक्त महोदय द्वारा संचालित किया जा रहा है जिसके अंतर्गत जिला शिक्षा अधिकारी, कमेटी के सदस्य, सी ई ओ, जिला अधिकारी जिला स्वास्थ्य अधिकारी आदि शामिल हैं । खंड स्तर पर इसका कार्यान्वयन मौलिक शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी और खंड संसाधन अधिकारियों द्वारा किया जाता है।और जमीनी स्तर पर इसका कुशल संचालन करेंगे शिक्षक, अभिभावक और समुदाय के सभी सदस्य। मेरे कहने का तात्पर्य है कि शिक्षा के इस महायज्ञ में पूरे देश को आहुति देनी होगी यानी अपना योगदान देना होगा तभी यह मिशन सिरे चढ़ेगा।
भारत में भाषा शिक्षण के लिए त्रिभाषा सूत्र को रखा गया है जिसमें पहली दूसरी और तीसरी भाषाओं का शिक्षण बच्चों को दिया जाना है। बहुभाषावाद भारतीय संस्कृति को समृद्ध बनाता है। ये संज्ञानात्मक अभिवृद्धि भी लाता है। जो बच्चे एक से अधिक भाषाएं जानते हैं वे शैक्षिक रूप से और भी अधिक रचनात्मक और सामाजिक रुप से सहिष्णु होते हैं। मिशन का उद्देश्य है कि देश का प्रत्येक बालक कक्षा तीसरी के अंत 2026-2027 में भाषाई कौशलों में दक्षता प्राप्त करें। जैसे समझ के साथ सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना और तर्क सहित चिंतन करना।
जब बच्चा विद्यालय में प्रवेश करता है तो वह अपनी मातृभाषा को अपने साथ लाता है। यह उसकी प्रथम भाषा है जिसे वह अपने परिवार अपने परिवेश से सुनता व सीखता आया है। बच्चे को अपने परिवेश की बोली सीखने में ज्यादा कवायद नहीं करनी पड़ती। क्योंकि यह भाषा उसके चारों ओर के परिवेश में पहले से ही है।इसीलिए यह उसकी अभिव्यक्ति का मूल आधार भी होती है। भाषा सीखने के लिए बच्चे अपने ही तरीके इस्तेमाल करते हैं वे देखते हैं सोचते हैं अनुमान लगाते हैं वर्गीकरण करते हैं भाषा सिखाते वक्त हमें यह देखना होगा वे कैसे भाषा को आसानी से सीखते हैं? हम अपने मिशन में तभी कामयाब होंगे जब हम उनकी प्रथम भाषा को अपने भाषा शिक्षण से जुड़े फिर चाहे यह हिंदी हो या या अंग्रेजी संस्कृत जर्मन फ्रांसीसी आदि। निपुण मिशन एक बहुभाषी निपुण बच्चे को तैयार कर रहा है जिससे बच्चा संज्ञानात्मक विकास की तरफ बढ़ेगा और शैक्षिक उपलब्धियों
में उत्कृष्टता प्राप्त करेगा एक बहुभाषी बालक अधिक रचनात्मक, अधिक कुशल, अधिक सहिष्णु होता है।
.. क्रमशः