माउंट आबू
अंग्रेजी शासन काल
में बने परित्यक्त भग्नावेशों
से होकर गुजरते
माउंट आबू के शांत रास्ते
भारतीय वास्तु कला की
बेजोड़ मिसाल दिलवाड़ा
से हर आमोखास को जोड़ते हैं
आस्था की सीढ़ियाँ
सैल्फी संग लांघते
आर्बुदा भक्त जय अधरा देवी
के जयकारे बोलते हैं
भारतीय संस्कृति के
परचम को लेकर आगे बढ़ते
शंकरमठ के मठाधीश और
नगाड़े घंटे श्लोकोच्चारण में
मग्न शिशु शिष्य
विशुद्ध भारतीयता की भाषा बोलते हैं
देवताओं के नाखूनों
से बनी हुई नक्की झील
समीप रघुनाथ मंदिर में पुजारी
लिए आरती जोहता बाट
शायद कोई भूला भटका
लेने आए प्रसाद
झील पर भीड़ का अथाह समुन्दर
नाव और डोंगी लेकर अंदर
रघुनाथ से दूर मग्न डोलते हैं
ब्रह्मकुमारीज के इस फैलते साम्राज्य में
क्या लेने आते हैं नवदम्पत्ति
एक ओंकार, निराकार
ज्योतिर्बिंदु को समझने में
जाने क्यों पूरा आबू रोड खोजते हैं
ज्येष्ठ माह में कठोर चट्टानों
पर बना बाजार
तपता नहीं निखरता है
मन मोहते हैं कटी कच्ची कैरी और तरबूज
दीखते हैं चहुँदिस अंजीर और खजूर
विजयसार के मधुमेह हर गिलास
संधि अमृत तेल और बीयरबार विलास
सांझ के कानों में खिलखिलाहट घोलते हैं
जामुन के विशालकाय वृक्ष
संग जामवन्त के प्रपौत्र लंगूर
और शिलाएं आबू की
जिनके पार आने से पहले
भूकंप भी मांगता
मोहलत युगों की….
पर्यटनार्धारित इस
पुरातन पर्वत पर
कुछ तो है जो रोकता है
इसीलिए हम आबू को आबू बोलते हैं
“प्रीति राघव चौहान”
माउंट आबू
आबू का अर्थ होता है पिता.. अरावली भारत की प्राचीनतम चट्टानी श्रृंखलाओं में से एक है और इसकी सबसे ऊँची चोटी है माउंट आबू।