भिखारी

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घर से था निकला

मौजे जुनूँ में

किस हाल में है

चलो ये भुला दें

हाथों में देकर उसके किताबें

उसे विद्यालय में

दाखिल करा दें

कुछ रोज बच्चे सा

उसको भी छोड़ें

फिर पाठशाला का

रास्ता दिखा दें

बच्चा ही है वो

क्या चाहेगा तुमसे

जीने का उसको

सलीका सिखा दें

तुम्हें भी है मालूम बेबस

वो कितना

आका से इनके मोदी को मिला दें

VIAप्रीति राघव चौहान
SOURCEpritiraghavchauhan
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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