घर से था निकला
मौजे जुनूँ में
किस हाल में है
चलो ये भुला दें
हाथों में देकर उसके किताबें
उसे विद्यालय में
दाखिल करा दें
कुछ रोज बच्चे सा
उसको भी छोड़ें
फिर पाठशाला का
रास्ता दिखा दें
बच्चा ही है वो
क्या चाहेगा तुमसे
जीने का उसको
सलीका सिखा दें
तुम्हें भी है मालूम बेबस
वो कितना
आका से इनके मोदी को मिला दें