परीक्षा
परीक्षा उनके लिए नई बात नहीं
वो रोज़ देते हैं असल जीवन में
जीने की परीक्षा
विद्यालय उनके लिए स्वप्न स्थली है महज
जो पाठ किताबों में लिखे जाते हैं
उनके जीते जागते किरदार हैं…
ये छोटी जोत के भूमि पुत्र और भू कन्याएँ
धूल धूसरित बकरी के बाड़े की गंध से ओतप्रोत
अपने इकलौते पसंदीदा एक जोड़ी कपड़ों में
चार डिग्री तापमान में
दौड़े चले आते हैं चप्पलों में विद्यालय
विद्यालय उनके लिए स्वप्न स्थली है
चाहे वह चाँद की झिंगोले के लिए हठ हो
या हरियाली तीज पर कोथली
चींटी और मक्खी तो सहेलियाँ हैं इनकी
देश के बाट और देश के घाट इनके अपने हैं
भाईचारा घर से विद्यालय के रास्ते में
सीख कर आते हैं ये..
विद्यालय इनके सपनों की रंग स्थली है
एक रंग बिरंगी रबड़ युक्त पैंसिल
इनके चेहरे पर ले आती है
लाखों टन मुस्कान
एक लम्बी चर्चा सुनाने के बाद जब हम
उनसे पूछते हैं.. अभी आपने क्या सुना
कहते हैं भाषण…..
ये बच्चे नासमझ हैं या हम..
ये.. टू/थ्री /फोर बी एच के से निकले
नाइनटी प्लस लिए इंटरनेशनल स्कूलों के
हताश छात्र नहीं
ये कल्लर भूमि पर पली भू से जुड़ी संतानें हैं….
इन्हें पढ़ाना नहीं पड़ता परिवार का समाज शास्त्र
ये जानते हैं जीना यथार्थ के धरातल पर
हँसते हुए जीना हर कटु पल के साथ
क्योंकि ये हर पल
इक नई परीक्षा से गुजरते हैं
इन्हें इनके हिस्से का आसमान चाहिये
ये छू लेंगे आसमां
बस एक उड़ान चाहिए
बस एक उड़ान चाहिए
“प्रीति राघव चौहान”