अब क्या होगा इस दुनिया में?
जो आकर कोई पूछेगा
वो स्वयं ही अपनी पहेली को
![FOG ON THE MARS](https://pritiraghavchauhan.com/wp-content/uploads/2018/11/Screenshot_20180922-081616-169x300.png)
मेरे शब्दों में बूझेगा
अनघड़ औघड़ बेजां बातें
क्यों कर- कर वक्त गुजारें हम
जो बचा खुचा सा मुट्ठी में
अब चल कर उसे सँवारे हम
होगा सुदूर इक गाँव कहीं
खेतों के बीच इक राह नवल
छू लेंगे जिस पर चल कर हम
उड़ते बादल और श्वेत कमल
मृदुल घास से सजी हुई
इक यायावर सी पगडंडी
फूलों से लदी फदी होगी
उस पर लताओं की हर डंडी
टेसू आम और अमलतास के
वृक्षों से भरा कानन होगा
पंछियों से गुंजायमान
अपना भी इक आंगन होगा
बचपन जिसमें नव डैनों से
उड़ने की कलाएँ सीखेगा
हो दूर सभी छल कपटों से
जीवन की सदाएँ सीखेगा
हम देखेंगे फिर जीवन के
विस्मित होकर रंगी सपने
नव रंगढंग की सजधज से
सुस्मित से संबंधी अपने
चाहे कुछ हो इस दुनिया में
बस तुम होगे और मैं हूँगी
स्वप्नों से भरे नयन होंगे
कोने में पर्ण कुटी होगी
“प्रीति राघव चौहान “