अब क्या होगा इस दुनिया में? 

जो आकर कोई पूछेगा

वो स्वयं ही अपनी पहेली को

FOG ON THE MARS
FOG ON THE MARS

मेरे शब्दों में बूझेगा

अनघड़ औघड़ बेजां बातें 

क्यों कर- कर वक्त गुजारें हम

जो बचा खुचा सा मुट्ठी में 

अब चल कर उसे सँवारे हम 

होगा सुदूर इक गाँव कहीं 

खेतों के बीच इक राह नवल

छू लेंगे जिस पर चल कर हम

उड़ते बादल और श्वेत कमल 

मृदुल घास से सजी हुई 

इक यायावर सी पगडंडी 

 फूलों से लदी फदी होगी 

उस पर लताओं की हर डंडी 

टेसू आम और अमलतास के 

वृक्षों से भरा कानन होगा 

 पंछियों से गुंजायमान 

अपना भी इक आंगन होगा

बचपन जिसमें नव डैनों से 

उड़ने की कलाएँ सीखेगा

हो दूर सभी छल कपटों से 

जीवन की सदाएँ सीखेगा

हम देखेंगे फिर जीवन के 

विस्मित होकर रंगी सपने 

नव रंगढंग की सजधज से 

सुस्मित से संबंधी अपने 

चाहे कुछ हो इस दुनिया में 

बस तुम होगे और मैं हूँगी 

स्वप्नों से भरे नयन होंगे 

कोने में पर्ण कुटी होगी 

“प्रीति राघव चौहान “

 

 

VIAPRITI RAGHAV CHAUHAN
SOURCEप्रीति राघव चौहान
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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