बच्चे तालियाँ बजाते हैं…

बच्चे खिलखिलाते हैं

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बच्चे खिलखिलाते हैं

हँसते हैं तकते हैं

अबूझ किस्सों कों

परियों की कहानियाँ

उन्हें आज भी लुभाती हैं

पहाड़ पर चढ़ती विशाल मकड़ी

रेत में चलते भूरे चींटे

सहज ही खींचते हैं उनका ध्यान

मछलियाँ हों या गाय बकरी गधे घोड़े

बसें कारें छिपकली साँप

खेत में खड़े डरावे

उन्हें अच्छे लगते हैं

किसी प्रदर्शनी में 

व्यर्थ भाषण और पुरस्कार

उन्हें लुभाते नहीं हैं

मुख्यअतिथि से फेरकर पीठ

बच्चे देखते हैं तितलियाँ

और भाषण समाप्ति पर

अनायास बजाते हैं तालियाँ

 

 

VIApritiraghavchauhan
SOURCEप्रीति राघव चौहान
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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