हे शुभांगिनी, गिरी नंदिनी, भयनाशिनी नमोस्तुते।

हस्त कमल और लिए त्रिशूला वृषवाहिनी नमोस्तुते।।

ब्रह्मचारिणी व्याधि तारिणी दिगंत चारणी नमोस्तुते।

ज्ञान तपो दा शुभं दायिनी हे कल्याणी नमोस्तुते।।

चंद्र घंटिके स्वर्ण प्रभा मयी दिव्य स्वरूपा नमोऽस्तुते।

शक्ति दायनी मात भवानी हे कल्याणी नमोऽस्तुते।।

हे शून्य रचियता कूष्मांडा हे अन्नपूर्णा नमोऽस्तुते ।

अष्ट भुजा ले अमृत माला वर दायिनी नमोऽस्तुते।।

कमल धारिणी स्कंदमाता हे अभय दायिनी नमोऽस्तुते।

हे मातृ स्वरूपा विद्यावाहिनी ज्ञान दायिनी नमोऽस्तुते।।

हे त्रिनेत्री उमा गौरी हे कात्यायनी नमोऽस्तुते।

हे अष्टादश भुजा लिए महिषासुर मर्दिनी नमोऽस्तुते।।

हे कालरात्रि हे अग्नि वर्षिका हे गर्दभ रूढ़ा नमोऽस्तुते।

हे भयंकरी कराली काली तारकासुर नाशिनी नमोऽस्तुते।।

नवदेवी
देवी दुर्गा स्तुति प्रीति राघव चौहान द्वारा
नव देवी स्तुति
हे शुभांगिनी, गिरी नंदिनी प्रीति राघव चौहान

संगीत प्रिया हे शक्ति मूला, हे महागौरी त्वम नमोऽस्तुते।

हे अभय दायिनी वृषरूढ़ा कैलाश वासिनीनमोऽस्तुते।।

हे अष्ट सिद्धि नव निधि दायिनी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते।

कमल स्थिता हे दुर्गा देवी हे मात भवानी नमोऽस्तुते।।

“प्रीति राघव चौहान ”

 

VIAPRITI RAGHAV CHAUHAN
SOURCEPritiRaghavChauhan
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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