दिल से

दिलल ौ

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वो जिन्हें लेकर मुझे गुमां था दोस्ती का

वो मेरे दोस्त नहीं महज़ खंजर थे जनाब

यकीन न हो तो आप भी आजमां देखें

चेहरे पर रमज़ान और दिल से भूखे होंगे

प्रीति राघव चौहान

अक्सर ठहर जाते हैं

ऐसे मंजर देखकर

जिन्दगी रवानी है

रुका दरिया नहीं है

अपने कपड़े अपने बिस्किट वापस ले लो

मैं जहाँ हूँ मुझे चुपचाप वहाँ रहने दो

मुट्ठी में लें चाहे वो डिबिया में रखें

मासूम बच्चों की सौगातों के लिए हूँ

तू ताकत अपनी ना मुझपर आजमां

तेरी मौज को नहीं मैं रातों के लिए हूँ

 जब हम न होंगे हमारी रूह को लाओगे

चलिये आप मिलकर मन की निकालिये

VIAPritiraghavchauhan
SOURCEPritiraghavchauhan
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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