चलो एक बार फिर

भरें उड़ान

हौसलों से भर लो पर

रंग बिरंगे रंग ओढ़ कर

पुरातन पंथी ढंग छोड़कर

चलो फिर भरें उड़ान 

तुम अनूठी हो

अद्भुत है तुममे साहस

करो न एक बार फिर 

जीवन को नए तरीके से 

जीने का दुस्साहस

अपने धैर्य को अपनी ताकत बनाओ

अपने छोटे – बड़े हर कार्य को सिर पर ताज

सा सजाओ

ये जो पौधों की फुलवारी 

सजाई है तुमने इसका हर रंग तुमसे है

जो दीप जलाया सुबह-शाम उसका उजियारा तुमसे है

तुमसे ही हैं बच्चों के चेहरे पर छाई लाली

तुमसे ही है हर दिन होली

रात दिवाली 

फिर किस चमत्कार का है इन्तज़ार 

जी लो अपनी ज़िन्दगी 

अपने तरीके से  

चलो एक बार चलें नए रंग ओढ़कर… 

‘प्रीति राघव चौहान’

VIAPritiraghavchauhan
SOURCEPritiraghavchauhan
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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