क्या आपको भी नहीं आती नींद?

आज के लॉकडाउन पीरियड में लगभग तमाम महानगरों में ज़िन्दगी जैसे थम सी गई है। लोगों के पास अपने छोटे छोटे घरों में सिमटे रहने से नींद जैसे पलकों से कोसों दूर चली गई है। न सोने का समय निश्चित है न जागने का….. यदि नींद पर आपका काबू नहीं है तो समझ लीजिए आप जल्दी ही बीमारियों की एक चलती फिरती दुकान बनने जा रहे हैं। आप कहेंगे इस टैंशन भरे माहौल में नींद कैसे आएगी भला? सूर्योदय से पहले उठना दिनचर्या का अभिन्न अंग बना लें तो समझिए आधी बीमारी कट गई। चलिए हम आपको बताते हैं अलार्म से नियम तक पहुंचने के उपाय।

  *चाहे आप आज दोपहर में जागे हों सबसे पहले प्राणायाम करें चालीस मिनट से एक घंटा। जी हाँ अनुलोम विलोम, कपालभांति. भ्रस्तिका जैसे प्राणायाम आपको जीवन जीने हेतु नवीन ऊर्जा देंगे।

*दूसरा कदम है दिन में नींद को कहें ना.. पहले ही देर से उठे और खा-पीकर फिर सो जाएंगे तो रात को तो करवटें ही बदलेंगे ना?

   *नौ बजे तक खाना खा लें।खाना खाने के बाद हल्की-फुल्की चहलकदमी अच्छी रहती है। याद रहे सोने से पहले चाय या कॉफ़ी बिल्कुल नहीं लें।

    * नौ के बाद टीवी बंद। सुबह 4:50 का अलार्म लगा लें।

    * अब हाथ पैर धोकर लेटने के बाद आपके पास पूरा घंटा बचा है जिसमें आप ………..

१.अपनी पसंदीदा किताब पढ़ सकते हैं।

२. लेटकर ध्यान कर सकते हैं।

३.मोबाइल पर पॉडकास्ट पर कहानी सुन सकते हैं।

४.अपने पसंदीदा गाने सुन सकते हैं।

५..आजकल मोबाइल पर ध्यान के लिये बहुत से अच्छे संगीत हैं। उन्हें सुनें और चैन की नींद सो जाएं।

६.आप चाहें तो कुछ सकारात्मक लिखें या परिवार संग करें सुखद संवाद..।

७.कुछ भी न कर सकें तो गिनें गिनती लगातार एक से दस बारम्बार…

      याद रखिये सकारात्मक सोच हर जंग पर भारी होती है। अनिष्ट की चिंता छोड़कर  सोचें कल कितने चेहरों पर हम सुबह ला सकते हैं  मुस्कान.. आशा है कोई न कोई तरीका तो आपके जीवन में सूर्योदय की पहली रश्मियां पहुंचाने में जरूर सहायक होगा।

     कोरोना का ये संकट तो कुछ समय के लिये है किंतु आपका जीवन अनमोल है…. जागो बंधु जागो…. चिड़ियो के जगने से पहले जागो..प्रीति

 

 

VIAPriti Raghav Chauhan
SOURCEPriti Raghav Chauhan
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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