किताबों में किस्से हैं

स्याह सफेद किरदारों के

हमारे /तुम्हारे /इसके /उसके

जाने किस किस के किस्से

 जो काले हर्फ़ों में भी

बोलते हैं

किस्से दीवानी झगड़ों से

जो कभी नहीं होते खत्म

हर पल चिढ़ाते

सिराहने पड़े मुस्कुराते

नज़र के सामने उठते बैठते

चलते लड़खड़ाते

आँसू बन ढलकते

चिंगारी से सुलगते

अबूझ पहेली से किस्से

रूठी सहेली के किस्से

इन किस्सों में किस्सागोई भी है

खिड़की से झांकता सुखोई भी है

किस्सों में कहीं सूखे खलिहान हैं

कहीं देश पर मरते जवान हैं

तन्हाइयों के, रुसवाइयों के

रानाइयों के, परछाइयों के

ये तमाम किस्से फोनी से

 अन्तरतट पर टकराते हैं

हाहाकार मचाते हैं

पढ़कर हम निर्लिप्त निकल जाते हैं

“प्रीति राघव चौहान”

VIAPriti Raghav Chauhan
SOURCEPriti Raghav Chauhan
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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