आंधियों से तुझको लड़ना सिखा दूं तो चलूँ
ऐ सेहरा तुझको गुलशन बना दूं तो चलूँ
मुझको तो जाना ही है ऐ हिंन्दोस्तान एक दिन
सच के वास्ते तुझे जीना सिखा दूं तो चलूँ
प्रीति राघव चौहान
आंधियों से तुझको लड़ना सिखा दूं तो चलूँ
ऐ सेहरा तुझको गुलशन बना दूं तो चलूँ
मुझको तो जाना ही है ऐ हिंन्दोस्तान एक दिन
सच के वास्ते तुझे जीना सिखा दूं तो चलूँ
प्रीति राघव चौहान