आजादी क्या मिली वो स्वच्छंद हो गये

आजादी.. Aajadi....

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आजादी क्या मिली

वो स्वच्छंद हो गये

कतारों में लगे लोग

लामबंद हो गये

हांकने वाले भी थे

हुजूम में शामिल

आजाद तराने गलों

 में बंद हो गए

जलसा जुलूस में

तब्दील हो गया

जय हिंद के नारे

 बुलंद हो गये

उस शोरगुल में अपनी

 बारी का इंतजार

करती रही दिलशाना

 गुम छंद हो गये

हवा हुईं पतंगें गुब्बारों

 पर निकला गुबार

सैल्फी पसंद साथी

दानिशमंद हो गये

इस मुल्क की बेचारगी

  तो देखिये जनाब

विद्यालय मेरे गांव के

   देव बन्द हो गये

         “ प्रीति राघव चौहान”

 

VIAPriti Raghav Chauhan
SOURCEPriti Raghav Chauhan
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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