आजादी क्या मिली
वो स्वच्छंद हो गये
कतारों में लगे लोग
लामबंद हो गये
हांकने वाले भी थे
हुजूम में शामिल
आजाद तराने गलों
में बंद हो गए
जलसा जुलूस में
तब्दील हो गया
जय हिंद के नारे
बुलंद हो गये
उस शोरगुल में अपनी
बारी का इंतजार
करती रही दिलशाना
गुम छंद हो गये
हवा हुईं पतंगें गुब्बारों
पर निकला गुबार
सैल्फी पसंद साथी
दानिशमंद हो गये
इस मुल्क की बेचारगी
तो देखिये जनाब
विद्यालय मेरे गांव के
देव बन्द हो गये
“ प्रीति राघव चौहान”