आजादी का मोल
आजादी का मूल्य क्या है? काश! बता पाता वो शिशु जो माँ की कोख से निकला है अभी..अभी। आधी से ज्यादा आबादी तो जानती ही नहीं आज़ादी किस चिड़िया का नाम है? खाने और पहनने से ज्यादा कुछ जरूरी नहीं है आज की युवा पीढ़ी के लिए नह महान देश- भक्तों के लिए इक जुनून भर था क्या जेल जाना? इतिहास के पन्नों में गाथा बनकर रह गए वो लोग जो भारत माता को ब्रितानिया हुकुमत के जुल्मों से आजाद कर लाए।
किसी भी देश की स्वतंत्रता उस देश के लोगों के मूल्यों में, उसके उच्च आदर्शों में छिपी होती है। हमारा भारत युवा भारत है। आजादी लाने वाले नहीं रहे। वे ये धरोहर अपनी अगली पीढ़ी को सौंप गए। अगली पीढ़ी ने भी इसे बहुत सहेज कर अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखा। लेकिन आज बगडोर युवाओं के हाथ में है।
आज का युवा वर्ग चाईनीज़ भोजन और आलसी जीवन शैली का दीवाना है। उसकी सोचने समझने की शक्ति आधुनिक गूगल की भेंट चढ़ गई है। स्वतंत्रता का मोल पूछो जरा उनसे… कहेंगे- हक है हमारा। गली – कूंचों में खड़े होकर अंग्रेजी गालियाँ देना, अंग्रेजी में गिटपिट करना और पास से गुजरने वालों पर हँसना। यही आजादी है क्या? यदि हमारे सामाजिक सरोकार उच्च नहीं हैं। हमारे आदर्श उच्च नहीं तो आजादी बेमानी है।
स्वतंत्रता के मूल्य को पहचानने के लिए हमें अपने मूल्यों को समझना के होगा हमें शिक्षित होना होगा। शिक्षा और कौशल के द्वारा आत्मनिर्भर भारत बनाना होगा। शिक्षा किसी भी राष्ट्र का स्वरूप बदल सकती है। साठ करोड़ शिक्षित युवा क्या नहीं कर सकते? हमें सुशिक्षित व सम्पन्न होना होगा। होना ही होगा और शिक्षा की कोई उम्र नहीं होती।
कुछ दीवानों ने जंग लड़ी,
कुछ हमें जुनूनी बनना है
अब रुकना ना है क्षण भर को
सर्वस्व समर्पण करना है
अपने भारत के लिए हमें सर्वस्व समर्पण करना होगा कार्य छोटा हो या बड़ा इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। फर्क पड़ता है तो इस बात से कि आप अपने कार्य के प्रति कितने इमानदार हैं। इसीलिए बस इमानदारी से अपने काम करते जाएँ और न भी हों तो नए कार्यों की धरती तैयार करें। यही असली आजादी है।
सबसे बड़े लोकतंत्र को भीड़तंत्र बनने से बचाना ही आजादी है। ऐसा तभी संभव है जब हमारे युवा और बच्चे जिज्ञासु हों। ज्ञान पिपासु हों। ब्राउजिंग ही करनी हो तो करें .. लेकिन ज्ञान और नवीनतम तकनीक की करें। जो आपके साथ देश को प्रगति के नए पायदान पर ले जाए। जिन अंग्रेजों से आजादी पाने में हमने लम्बा समय लगा दिया उन्हीं के द्वारा छोड़ी चीज़ों को हम ओढ़ते बिछाते हैं! स्वदेशी बनें। सिर्फ तिरंगा नहीं स्वदेशी तकनीक एक आंदोलन के रूप में उभरे। देश की प्रगति के लिए मजबूत अर्थतंत्र बनाना ही होगा।
हुकमते ब्रितानिया की छाह से भी दूर हो
यहाँ का बाशिंदा कोई न कभी मजबूर हो
हिन्द की धरती पर हिन्दोस्तानी एक हों
अंग्रेजियत से दूर हिंदी सभी का नूर ह