अरण्यरोदन

आज से एक नया धारावाहिक उपन्यास शुरू करने जा रहे हैं। जिसका शीर्षक है-

“अरण्य – रोदन” अर्थात जंगल में रोना या व्यर्थ की चीख पुकार.. ऐसी पुकार जिसे कोई सुनने वाला न हो। जिस महा नगरीय संस्कृति में हम पल बढ़ रहे हैं, वहां हमारे साथ चलते तो बहुत से लोग हैं परंतु कान्धा किसी का साथ नहीं होता ! बस दूर-दूर तक विज्ञापन ही विज्ञापन… यथार्थ चेहरे तो केवल साहित्यिक किताबों के फ्रंट कवर या आस्कर के लिये बनी डाक्यूमेंट्री फिल्मों के किरदार बनकर रह गए हैं। कुछ दिन पुरानी बात है एक वेबसाइट पर तरह-तरह की लुभावने विज्ञापन देखकर मन में आया क्यों ना हम भी कुछ बेचें। जब निर्मल बाबा के समोसे की कृपा 200 में बिक जाती हैं तो इतनी कलाबाजी तो हमें भी आती है। बस यही सोच एक विज्ञापन डाल दिया……

अपनी सभी मानसिक परेशानियों का हल ढूंढें – अरण्य-रोदन पर@₹500.. फिर क्या था हमने बकायदा वहां केवल डेढ़ घंटे का टाइम भी दिया और फिर जिस तरह के लोगों से वास्ता पड़ा उन्हीं सभी को लेकर आ रहे हैं अपने इस धरातल से जुड़े धारावाहिक अरण्य रोदन में….. यहाँ आपको रोज़ एक कान्धा मिलेगा सपने दिखाता हुआ और प्रतिदिन एक चेहरा मिलेगा नम आँखों से मुस्कुराता हुआ…..        क्रमश:

 

VIAPriti Raghav Chauhan
SOURCEPriti Raghav Chauhan
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नाम:प्रीति राघव चौहान शिक्षा :एम. ए. (हिन्दी) बी. एड. एक रचनाकार सदैव अपनी कृतियों के रूप में जीवित रहता है। वह सदैव नित नूतन की खोज में रहता है। तमाम अवरोधों और संघर्षों के बावजूद ये बंजारा पूर्णतः मोक्ष की चाह में निरन्तर प्रयास रत रहता है। ऐसी ही एक रचनाकार प्रीति राघव चौहान मध्यम वर्ग से जुड़ी अनूठी रचनाकार हैं।इन्होंने फर्श से अर्श तक विभिन्न रचनायें लिखीं है ।1989 से ये लेखन कार्य में सक्रिय हैं। 2013 से इन्होंने ऑनलाइन लेखन में प्रवेश किया । अनंत यात्रा, ब्लॉग -अनंतयात्रा. कॉम, योर कोट इन व प्रीतिराघवचौहान. कॉम, व हिन्दीस्पीकिंग ट्री पर ये निरन्तर सक्रिय रहती हैं ।इनकी रचनायें चाहे वो कवितायें हों या कहानी लेख हों या विचार सभी के मन को आन्दोलित करने में समर्थ हैं ।किसी नदी की भांति इनकी सृजन क्षमता शनै:शनै: बढ़ती ही जा रही है ।

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